
(आनंदी लाल)
11अक्टूबर,019 को खाद्य असुरक्षा और कुपोषण से मुक्ति की जन यात्रा की गाड़ी यात्रा टीम के साथियों को लेकर रोहनियाँ गांव की ओर जा रही थी कि गांवों पहुँचने से 2 किलो मीटर पहले पैदल आ रहे बुजुर्ग व्यक्ति के ऊपर नजर यात्रा में शामिल साथियों की गई। ड्राइवर से गाड़ी खड़ी करने को कहा। साथी बुजुर्ग के पास पहुँचकर पूछा कि कहाँ जा रहे है बब्बा,उसने बताया कि बेटा मझगवां।कोई काम से ? उसने जवाव दिया हाँ।क्या काम है उसने कहा कि मुझे 4माह से पेंशन नही मिली ,पटवारी व तसिलदार से मिलना है। उससे नाम पूंछने पर अपना नाम लोकनाथ सिंह गोंड़ उम्र-85 वर्ष बताते हुए अपना हांथ थैले में डालकर कुछ कागजात निकले और बोले कि दादू देखो ये कौन सा कागज है।उसने जो कागज निकाला था वह पंजाब नेशनल बैंक की पास बुक थी उसको बताया कि बब्बा पास बुक है।उसने कहा कि हाँ मेरी पत्नी चुनियां की है इसका खाता झोंवटा में हैं जिसका खाता नंबर 2675001700027540 हैं जिसमे 5/01/018 को 900 रुपये निकासी दर्ज थी और खाते में 110 रुपये चढ़े थे उन्होंने बताया कि 4 माह से मेरी पत्नी चुनियां को भी पेंशन नही मिली, मेरे गाँव जा रहे हैं उसकी अर्जी बना लेना उन्होंने कहा कि जिस बैंक में खाता खुला है वो हमारे गांव से 50 किलोमीटर दूर हैं जितनी पेंशन नही मिलती उतना किराया लग जाता है इस लिये भइया मझगवां के ही बैंक में खाता खोलवा दो कहते हुए अपने कागजात थैले में डालते हुए कहा कि मुझे पैदल चलकर कर जाना है धूप हो रही है कहते हुए कंधे में थैला टांगा और एक हांथ मे सुतली से बंधी पानी की बॉटल लिया और दूसरे हांथ मे डंडा सहारा लेकर खड़ा हुआ और चल दिये मझगवां की और ! साथियों की निगाहें तब तक टिकी रही जब तक व आँखों से ओझल नही हो गया।
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