गांधी जयंती से (2 अक्टूबर) से बाल अधिकार
दिवस (20 नवम्बर) तक
हमें
ध्यान रखना होगा कि कम उम्र में ही बच्चों की शादी न हो, इससे उनका पूरा जीवन संकट
में आ सकता है. जल्दी गर्भवती होने के कारण लड़कियों और शिशुओं का जीवन बुरा हो
जाता है. बहुत जरूरी है कि 19 साल के बाद ही लड़की गर्भवती हो, इससे पहले नहीं.
उन्हें दिन में 4-5 बार खाना मिले और दो घंटे का आराम भी. इस दौरान उनके खून, वज़न
और ब्लड प्रेशर की जांच होना चाहिए, ताकि माँ-बच्चे की जीवन सुरक्षित हो. आज लाखों
बच्चे बच्चे अभाव, परित्याग, कुपोषण, भेदभाव, उपेक्षा एवं बेबसी का जीवन गुजार रहे
हैं. इन बच्चों का जीवन कठिन होता है और विभिन्न कारण से अस्पताल एवं स्कूल जैसी
आवश्यक सुविधाओं से वंचित रहने, परिवार एवं समुदाय का संरक्षण न मिलने से उनके
शोषण का खतरा अधिक रहता है. ऐसे बच्चों का सीखने, खेलने-कूदने का अहसास भी खत्म हो
जाता है. अपन सोचें कि अपने बच्चों को पूरा भोजन, खेल, प्रेम और सुरक्षा कैसे दें?
हमें
खुल कर बिना विवाद यह देखने और बाते करने की जरुरत है कि
हमारे समुदाय में बच्चों की हालत क्या है? हम मिलकर बच्चों के जीवन की रक्षा एवं
खुशहाल कैसे बना सकते हैं? जब हम बच्चों की जिंदगी की बेहतरी की बात करते हैं तो
हमें समुदाय में न केवल स्वास्थ्य एवं पोषण बल्कि पीने के पानी, स्वच्छता, शिक्षा,
आजीविका, समाज के संसाधनों पर हक़, उन्हें न्याय मिलना, हर तरह के भेदभाव और
उपेक्षा से मुक्ति समेत अन्य बुनियादी सुविधाओं-सेवाओं की पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित
करना होगी.
इसी
बात को ध्यान में रखते हुए हम सबने मिलकर अपने क्षेत्र में यात्रा का आयोजन किया
है. इस आयोजन का खास मकसद है की हम बच्चों को जोखिम में डालने वाली व्यवस्थाओं से
बचाएं. हम अपने समाज में संविधान द्वारा तय किए गए मूल्यों को गहराई तक स्थापित
करें क्योंकि इन्हीं मूल्यों और सिद्धांतों से राज्य और समाज के बीच का रिश्ता
सकारात्मक बन सकता है. जब हम संविधान को समझेंगे तभी हम सम्प्रदाय, जाति, गरीबी,
लैंगिक असमानता के आधार पर होने वाले शोषण और टकराव को खत्म कर पाएंगे.
इसी
मकसद से हम आपके गाँव में हैं, और गांव भी जायेंगे, आपके बीच रहेंगे, बच्चों के
साथ खेलेंगे, युवाओं की बात सुनेंगे और समाज को भारत के संविधान पर एकजुट करेंगे. स्वच्छता
और स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी संदेशों पर बात करेंगे. आज सूचना तकनीक का दौर है.
इसके सही उपयोग के फायदे हैं, किन्तु इसके दुरूपयोग से बच्चों और युवाओं के जीवन
पर गहरा और बुरा असर पड़ रहा है. इस यात्रा के दौरान हम सूचना तकनीक-इंटरनेट के सही
उपयोग की भी बात करेंगे. यात्रा के इन पचास दिनों में हम रीवा, पन्ना, सतना और
उमरिया जिले के तकरीबन एक लाख से ज्यादा लोगों से मिलेंगे।
हमारे हक एवं हमारे दायित्व
1)
छोटे बच्चों एवं महिलाओं के साथ न्यायसंगत एवं स्नेहपूर्ण माहौल – सभी बच्चों एवं महिलाओं को स्नेहपूर्ण पालन-पोषण
का हक है, यदि किसी बच्चे या महिला के साथ अन्याय, शोषण, हिंसा या दुर्भावनापूर्ण
व्यवहार होता है तो बाल एवं महिला आयोग तथा पुलिस में शिकायत कराएँ.
2)
आंगनवाड़ी की देखरेख - 6 साल से कम उम्र के सभी बच्चों को आंगनवाड़ी में दर्ज कराकर वृद्धि
निगरानी कराएं. आंगनवाड़ी की देखरेख तथा गतिविधियों की निगरानी करें. कोई बच्चा
बहुत कमजोर दिखे तो तत्काल नजदीकी अस्पताल या पोषण पुनर्वास केंद्र भेजें.
3)
स्कूल की देखरेख – 6 से 14 साल तक के सभी बच्चों का स्कूल में दाखिला अनिवार्य है. सभी
बच्चों को स्कूल भेजें एवं स्कूल में व्यवस्थाओं (खेल का मैदान, शौचालय, पानी
आदि), पढ़ाई की गुणवत्ता, शिक्षकों की उपस्थिति, शैक्षणिक गतिविधियों, शाला प्रबंधन
समिति की बैठकों की निगरानी करें.
4)
पानी एवं स्वच्छता – हर परिवार को पास के हैंडपंप या नल से स्वच्छ पानी मिलना चाहिए, पानी
की व्यवस्था सुनिश्चित करना पंचायत की जिम्मेदारी है. अपना गांव हर तरह से स्वच्छ
बनाएं. अपने तालाब, बावड़ियों, कुओं, नदियों और जलधाराओं को बचाएं.
5)
राशन की दुकान की देखरेख – गांव के सभी पात्र परिवारों को नियमित रूप से गुणवत्तापूर्ण राशन मिले.
6)
स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं - सभी लोगों को स्वास्थ्य केंद्र से उपचार, बच्चों
और गर्भवती माताओं को टीके एवं दवा पाने का हक है, यदि अस्पताल समय से नहीं खुलता
या उपचार एवं दवा नहीं मिलती तो मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से संपर्क करें.
7)
हमारा गांव हमारा राज – अपने गांव में ग्रामसभा का आयोजन करें एवं सभी हकों पर ग्रामसभा में
चर्चा करें. साल में 4 बार (26 जनवरी, 14 अप्रैल, 15 अगस्त एवं 2 अक्टूबर) को
ग्रामसभा होना अनिवार्य है.
8)
काम एवं मजदूरी की मांग – मनरेगा में सभी जरूरतमंद लोगों को काम मिलने एवं समय
से मजदूरी पाने का हक है, इसके लिए ग्राम पंचायत जिम्मेदार है. काम न मिलने पर
बेरोजगारी भत्ते की मांग करें.
9)
अपना जंगल अपना पानी – गांव के जंगल एवं पानी के स्रोतों पर लोगों का अधिकार है पर इसे सहेजना एवं
उचित उपयोग करना समुदाय की जिम्मेदारी है, हम जंगल को काट या नष्ट नहीं कर सकते. जंगल
को बचाने से हमारा हरा भरा पर्यावरण, जीव जंतु, जड़ी बूटियां एवं पानी निरंतर बना
रहेगा व जीवन सुरक्षित रहेगा.
10)
योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों को दिलाना – उन सभी जरुरत मंदों की सूची बनाएं जिन्हें
पेंशन, आवास या आजीविका योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए एवं आवेदन कराएं.
11)
इंटरनेट का सुरक्षित उपयोग – यदि कोई मोबाइल फोन, वीडियो, कंप्यूटर, इंटरनेट का गलत इस्तेमाल करता है
और बच्चों-महिलाओं-युवाओं का शोषण करता है, तो हमें पुलिस में शिकायत दर्ज करवानी
होगी.
12)
अपनी खेती बचाएं- अपने देशी बीज बचाएं, रासायनिक उर्वरकों एवं दवाईयों से बचना जरूरी है। अपनी
परम्परा अच्छे रीति-रिवाज और ग्राम्य संस्कृति को बचाएं।
सहयोगी संस्थाएं – विकास संवाद (भोपाल) 0755-4252789, पृथ्वी ट्रस्ट (पन्ना)
9584529941 , आदिवासी अधिकार
मंच (सतना)7509956839, रेवांचल आदिवासी अधिकार समिति (रीवा)9685419680, जेनिथ फांउंडेशन (उमरिया)
9340007484

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